बाख़ुशी जिंदगी का मज़ा लीजिए।
सुर्ख आंखों में काजल लगा लीजिए।
मश्क़ करिए कि हमको बसा लीजिए।
हद से बाहर हुई मेरी दीवानगी।
आइए अब गले से लगा लीजिए।
आप में बह रही है जो दरिया–ए–इश्क़।
मेरी कश्ती उसी में बहा लीजिए।
चैन निंदे ख़ुशी पैरहन ज़िंदगी।
आपकी जो रज़ा वो बना लीजिए।
खैरमक़दम ख़ुदा का करो शुक्रिया।
बाख़ुशी जिंदगी का मज़ा लीजिए।
बुझ न जाए कहीं यार "दीपक" यहां।
आप पल्लू से उसको छुपा लीजिए।
©®दीपक झा "रुद्रा"
Seema Priyadarshini sahay
20-Jan-2022 09:18 PM
बहुत खूबसूरत
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Farida
20-Jan-2022 01:27 PM
Nice
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Arjun kumar
20-Jan-2022 12:45 PM
nice
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